क्या भारत में संभव हैं ?---

 क्या भारत में संभव हैं ?-----विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन   

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       मिस्त्र  की एक अदालत ने सरकार को एक महिला के कातिल /दोषी को  टी वी में सीधा प्रसारण के साथ फांसी की सजा दी जाय .यह कितना निर्मम कानून कह सकते हैं

पर इस तरह की प्रक्रिया से अपराधियों के हौसले अपराध करने को  रोकने कारगर हो सकते हैं .ऐसे कानून तानाशाह और कम्युनिस्ट देशों में लागु हो सकते हैं .


       भारत एक लोकतान्त्रिक देश हैं ,यहाँ दया  अहिंसा कूट कूट कर भरी हैं ,प्रजातंत्र में आजकल स्कूल के शिक्षक अपने छात्र को डांट  नहीं सकते ,मारना तो बहुत बड़ी बात हो गयी .अभी बंगाल में  शिक्षिका को निर्वस्त्र कर दिया गया था .हमारे देश में प्राकृतिक न्याय के लिए मामला वर्षों चलते हैं .यदि निचली अदालत ने दण्डित किया तो उससे ऊपर की अदालत ,उसके बाद हाई कोर्ट सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रपति से मर्सी अपील .इस प्रक्रिया में दशकों लगने के बाद अपराधी बेदाग़ छूट जाते हैं .

         एक अन्यायी को गलत ढंग से सजा नहीं मिलना चाहिए ,जब तक वह निर्दोष साबित न हो जाए या दण्डित होने पर पूरी  प्रक्रिया करो ,जब तक पीड़ित या पीड़िता की घटना भूल जाते ,गवाह मुकर जाते ,अपराध के समय का दरोगा ,वकील,जज ,सब बदल जाते और नए सिरे से हर बार उलटी गिनती पदों .वैसे इससे अपराधी निरकुंश रहते हैं  उनको मालूम हैं हमारा कुछ नहीं होता और न होगा .

                 भारत  स्वतंत्र  के साथ स्वच्छंद देश हैं यहाँ सब कुछ संभव हैं .गबन करो देश छोड़कर भाग जाओ और आने पर सरकार अपने आप को राहत महसूस करती हैं की गबनकर्ता लौट आया .अरे भाई संसद /विधान सभा में खुले आम नियमों ,कानून की धज्जियाँ उड़ रही हैं और वे ही कानून बनाने वाले और रखवाले हैं .

                हमारे देश में जब गंगोत्री ही अपवित्र हैं तो गंगा कहाँ तक पवित्र होगी .हमारे देश अपराधियों के लिए स्वर्ग और चिंतामुक्त स्थान हैं .जितना बड़ा अपराधी उतनी अधिक सुरक्षा ,उतना अधिक उसका रख रखाव .और यदि नामी गिरामी वकील अधिकतम पैसों से रख लिया तो समझो कानून मेरी मुठ्ठी में .

                    कारण देश बहुत विशाल  हैं और सबको अपने अपने कुकृत्य करने की आज़ादी हैं और उसके नाम से कुछ भी करो सब सही हैं .मिस्त्र देश में इस न्यायिक प्रक्रिया का होना संभव हैं ,भारत में असंभव .हमारे देश में अपराधी  निम्नतम दर्ज़े का अपराध जरूर कर दे पर उसे यातना देना सरकार या अदालत के वश में नहीं हैं .

                 सुना हैं बलात्कारी को दंड में उसके लिंग को काट दिया जाता हैं ,चोरी करने वाले के हाथ काट दिए जाते हैं .पर भारत देश में आप हथकड़ी नहीं लगा सकते .इसीलिए भारत में अनाचार ,दुराचार, भ्रष्टाचार सब शिष्टाचार बन गए .

                   भय बिन प्रीत न होत गौसाईं दंड का भय होना लाज़िमी हैं अन्यथा देश में अराजकता होती रहेंगी और दुर्बल सबल के सामने निरीह रहेगा .अदालत और सरकार सोचे समझे और किसी सीमा तक कदम उठायें .

       विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन   संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104  पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026  मोबाइल  ०९४२५००६७५३

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