२९ जुलाई विश्व बाघ दिवस---
२९ जुलाई
विश्व बाघ दिवस---- विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन भोपाल
हर साल २९ जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. इसका एकमात्र लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना है और बाघ संरक्षण के मुद्दों के लिए जन जागरूकता और समर्थन बढ़ाना
विश्व में बाघों की संख्या लगातार घटती जा रही है. जिसे लेकर पर्यावरण के जानकार और वन्य प्रेमियों ने चिंता जाहिर की है. विश्व में तस्कर और शिकारी बाघों का शिकार कर रहे हैं. जिस पर भी वन्यप्रेमियों ने चिंता जाहिर की है. विश्व स्तर पर बाघों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बाघों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण के उद्देश्य से अंतर्राष्ट्रीय टाइगर दिवस मनाया जाता है. अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस को लेकर पूरी दुनिया में कार्यक्रम चलाए जाते हैं.
बाघ के बिना जंगल की कल्पना नहीं की जा सकती है. बाघ एक ऐसा जानवर है जिससे वन एवं पर्यावरण का पारिस्थितिकी तंत्र सुचारु रूप से चलता है. जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र के स्वास्थ्य और विविधता को बनाए रखने में बाघ महत्वपूर्ण भूमिका निभाता (है. बाघ जंगल का प्रमुख शिकारी जानवर है. जो खाद्य श्रंखला में सबसे ऊपर है. साथ ही जंगल की आबादी को संतुलित रखने में इनका अहम योगदान है. लेकिन विश्व में घटते बाघों की संख्या का प्रमुख कारण है बाघ के अंगो की महत्ता जिसके चलते बाघों का शिकार और उनके अंगों का अवैध व्यापार बढ़ने लगा. जिसका परिणाम यह हुआ कि बाघों के विलुप्त होने का खतरा मंडराने लगा.
विश्व बाघ दिवस महत्वपूर्ण है. क्योंकि विश्व वन्यजीव कोष के अनुसार विश्व स्तर पर केवल 3900 जंगली बाघ मौजूद हैं. दुर्भाग्य से बाघ उन प्रजातियों में से एक हैं, जो विलुप्त होने के कगार पर हैं. इसलिए हर साल 29 जुलाई को अंतर्राष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है. इसका एकमात्र लक्ष्य बाघों के प्राकृतिक आवासों की रक्षा के लिए एक वैश्विक प्रणाली को बढ़ावा देना है और बाघ संरक्षण के मुद्दों के लिए जन जागरूकता और समर्थन बढ़ाना है.
२९ जुलाई २०१० की तारीख ऐतिहासिक है. क्योंकि इस दिन कई देशों ने मिलकर रूस में आयोजित सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में एक समझौते पर हस्ताक्षर किया था. यह समझौता विश्व स्तर पर बाघों की घटती आबादी के बारे में जागरूकता बढ़ाने और बाघों के प्राकृतिक आवास के संरक्षण के लिए था. साथ ही विभिन्न देशों के प्रतिनिधियों ने घोषणा किया कि बाघों के आबादी वाले देश वर्ष २०२२ के अंत तक बाघों की आबादी को दोगुना करेंगे. तब से लगातार अंतरराष्ट्रीय बाघ दिवस मनाया जाता है.
बाघों की प्रजातियां, जो विलुप्त हो चुकी हैं: बाघ की विभिन्न प्रजाति है. कई रंगों के बाघ होते हैं. जैसे सफेद बाघ, काली धारियों वाला भूरा बाघ, काली धारियों वाला सफेद बाघ और गोल्डन टाइगर. अब तक बाघों की विलुप्त हो चुकी ये चार प्रजातियां हैं - बाली टाइगर, कैस्पियन टाइगर, जावन टाइगर और टाइगर हाइब्रिड .
भारत ने बाघों की आबादी को पुनर्जीवित करने के लिए प्रोजेक्ट टाइगर लॉन्च किया हैं. साथ ही १३ टाइगर रेंज वाले देशों ने २०२२ तक जंगली बाघों की संख्या को दोगुना करने के लिए प्रतिबद्धता जाहिर की है. आई यु सी न महाद्वीपीय बाघ और सुंडा द्वीप बाघ को बाघ की उप-प्रजाति के रूप में मान्यता देता है. व व फ का लक्ष्य 2022 में जंगली बाघों की संख्या को दोगुना करना है. २९ जुलाई २०१० में कई देशों ने मिलकर रूस में आयोजित सेंट पीटर्सबर्ग टाइगर समिट में इस समझौते पर हस्ताक्षर किया था.
विद्यावाचस्पति डॉक्टर अरविन्द प्रेमचंद जैन संरक्षक शाकाहार परिषद् A2 /104 पेसिफिक ब्लू ,नियर डी मार्ट, होशंगाबाद रोड, भोपाल 462026 मोबाइल ०९४२५००६७५३

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