इसे गोबर का कीड़ा कहते हैं, ये कीड़ा सुबह उठकर गोबर की तलाश में निकलता है और दिनभर जहाँ से गोबर मिले उसका गोला बनाता रहता है।

 इसे गोबर का कीड़ा कहते हैं, ये कीड़ा सुबह उठकर गोबर की तलाश में निकलता है और दिनभर जहाँ से गोबर मिले उसका गोला बनाता रहता है।

निमाड़ प्रहरी न्यूज़ नेटवर्क

शाम होने तक अच्छा ख़ासा गोबर का गोला बना लेता है। फिर इस गोबर के गोले को धक्का मारते हुए अपने बिल तक ले जाता है,


बिल पर पहुंचकर उसे अहसास होता है कि गोला तो बड़ा बना लिया लेकिन बिल का छेद तो छोटा है, बहुत कोशिश के बावजूद वो गोला बिल में नहीं जा सकता।

 कई लोग गोबर के कीडे की तरह ही हो गए हैं। सारी ज़िन्दगी चोरी, मक्कारी, चालाकी, दूसरो को बेबकूफ बनाकर धन जमा करने में लगे रहते है,  जब आखिरी वक़्त आता है तब पता चलता है के ये सब तो साथ जा ही नहीं सकता।।

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