ऋषियों के अनमोल ज्ञान का लाभ प्रत्येक दम्पत्तियों उठाना चाहिए ।
ऋषियों के अनमोल ज्ञान का लाभ प्रत्येक दम्पत्तियों उठाना चाहिए ।
विवाहिता स्त्री के लिए गर्भस्राव होना सबसे बड़ी दुःखद स्थिति है। इसके कई कारण हो सकते हैं।
ऋषियों के अनुसार अष्टमी, चतुर्दशी, पूर्णिमा, अमावस्या तिथियों में गर्भाधान किया जाता है तो उसके गर्भपात होने की प्रबल संभावना रहती हैं। कारण निम्नलिखित हो सकते हैं।
अष्टमी तिथि को सूर्य, चन्द्रमा एवं पृथ्वी परस्पर समकोण पर रहते हैं अतः इस तिथि को वीर्य दुर्बल हो जाता हैं।समुद्र में भी निम्न ( लघु ) ज्वार भाटा होता हैं।
चतुर्दशी, पूर्णिमा एवं अमावस्या को ये तीनों सरलकोण पर रहते हैं अतः इन तिथियों को वीर्य उग्रता एवं क्षुब्धता लिये हुए होता हैं। समुद्र में भी उच्च ज्वारभाटा आता हैं।
क्योंकि चन्द्रमा का प्राणिमात्र एवं प्रकृति पर प्रभाव पड़ता हैं।
इनके अलावा चतुर्थी, षष्ठी एवं नवमी तिथि को भी गर्भाधान हेतु निषेध बताया हुआ है।
इन तिथियों में गर्भाधान होने पर गर्भपात तो नहीं होता हैं किन्तु ऐसे जातक अपने जीवन काल में सामान्य से लेकर गम्भीर बिमारियों / परिस्थितियों से ग्रसित हो सकता है फलतः निषेध किया गया है।
मंगलवार एवं शनिवार को भी निषेध किया गया है।मंगलवार को गर्भाधान होने पर जातक मांगलिक हो सकता है।
नक्षत्रों में मघा, मूल, ज्येष्ठा एवं रेवती ये चार गण्डमूल नक्षत्रों को निषेध किया गया है।
मासिक धर्म आने से लेकर निवृत्ति होने तक निषेध किया गया है।
मासिक धर्म आने से ग्यारहवीं एवं तेरहवीं रात्री को निषेध किया गया है। इन दो रात्रियों में महिला की कामेच्छा प्रचण्ड होती हैं इसलिए गर्भाधान हेतु निषेध है।
जिन्हें पुत्र प्राप्ति की इच्छा हो मासिक धर्म आने से सम रात्री यथा 6,8,10,12,14,16वीं रात्री में गर्भाधान करें।क्योंकि सम रात्रियों में महिलाओं की कामेच्छा सामान्य रहती हैं अतः उनके क्रोमोसोम का सामर्थ्य भी सामान्य होती हैं अतः पुत्र होने की सम्भावना रहती हैं। किन्तु निषेध तिथि, वार एवं नक्षत्र हो तो उस रात्री भूलकर भी गर्भाधान न करें।
जिन्हें पुत्री प्राप्ति की इच्छा हो मासिक धर्म आने से विषम रात्री यथा 5, 7, 9 एवं 15 वीं रात्री में गर्भाधान करें। क्योंकि विषम रात्रियों में महिला की कामेच्छा प्रबल होती हैं अतः महिला के क्रोमोसोम का सामर्थ्य भी प्रबल होती हैं पुरुष के क्रोमोसोम के सामर्थ्य कोई परिवर्तन नहीं होता हैं पुत्री होने की सम्भावना रहती हैं ।
11 एवं 13 रात्री को महिला की कामेच्छा (आतर्व ) प्रचण्ड होने से क्रोमोसोम की सामर्थ्य भी प्रबलतम होती हैं ।अतः ऐसे गर्भाधान में कन्या होगी वह कामुक प्रकृति की हो सकती हैं
भोजन करने के 3 घंटे बाद ही रतिक्रिया करें अन्यथा कुछ वर्षों में ही शरीर रोगों का घर हो जायेगा जिसमें डायबिटीज प्रमुख हैं।
दूध पीने के 5 घंटे के भीतर रतिक्रिया करने पर स्खलन शीध्र हो सकता है। किंतु रतिक्रिया के बाद दूध पीना चाहिए।
वर्ष में सूर्य की बारह सक्रांति एवं अशुभ ज्योतिष योग में और दिन के समय भी दूर रहे।
रात्री के 9 pm से लेकर 4 am तक का समय ही उपयुक्त है।
निषेध स्थितियों में दूर रहे आपका शरीर अधिक वर्षों तक अनुकूल रहेगा एवं साथ भी देगा।
इनके अलावा भी कुछ जानकारी मैं यहाँ नहीं लिख रहा हूँ जिन्हें ईच्छा हो जानकारी भेजे मैसेज मेरे मोबाइल नंबर 9461386300
8000745345
पर भेजने पर निशुल्क भेज दी जाएगी। कृपया इस मैसेज को दम्पत्तियों को भेजे ताकि वे ऋषियों के अनमोल ज्ञान से लाभान्वित हो सकते हैं।धन्यवाद
मुकेश कुमार माहेश्वरी
निवासी अजमेर राजस्थान
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