त्रिफला चूर्ण या सीरप...... जो स्वस्थ्य बने रहने हेतु /अनेकों रोगों को दूर करने हेतु बहुत ही लाभदायक होता है।

 🪹 त्रिफला चूर्ण या सीरप......


जो स्वस्थ्य बने रहने हेतु /अनेकों रोगों को दूर करने हेतु बहुत ही लाभदायक होता है।


त्रिफला लेने का सही नियम....


साधारण विधि.......

निमाड़ प्रहरी 9977766399

आज के समय में व्यक्ति अपने खान-पान और अनियमित जीवनशैली के कारण अपनेआप पर ध्यान नहीं दे पाता, नतीजन वह कई बीमारियों का शिकार हो जाता है और इन बीमारियों में कब्ज, थकान होना,


नींद न आना इत्यादि है। इनके इलाज के लिए व्यक्ति दवाईयों का लगातार सेवन करता रहता है, जिससे वह कई और बीमारियों का शिकार हो जाते है। लेकिन यदि हम थोड़ी सी सावधानी बरतकर और आयुर्वेद को अपनाए तो अपने स्वाहस्य्ले की सही तरह से देखभाल... कर ही पाएंगे साथ ही शरीर का कायाकल्प भी करने में आसानी होगी।


 त्रि‍फला ऐसी ही आयुर्वेदिक औषधी है जो शरीर का कायाकल्प कर सकती है। त्रि‍फला के सेवन से बहुत फायदें हैं। स्वस्थ‍ रहने के लिए त्रि‍फला चूर्ण महत्वपूर्ण है। त्रि‍फला सिर्फ कब्ज दूर करने ही नहीं बल्कि कमजोर शरीर को एनर्जी देने में भी प्रयोग हो सकता है। बस जरुरत है तो इसके नियमित सेवन करने की |


सेवन विधि....


सुबह हाथ मुंह धोने व कुल्ला आदि करने के बाद खाली पेट ताजे पानी के साथ इसका सेवन करें तथा सेवन के बाद एक घंटे तक...


पानी के अलावा कुछ ना लें | इस नियम का कठोरता से पालन करें..|


त्रिफला लेने का सही नियम....



सुबह अगर हम त्रिफला लेते हैं तो उसको हम "पोषक " कहते हैं |क्योंकि सुबह त्रिफला लेने से त्रिफला शरीर को पोषण देता है जैसे शरीर में vitamin, iron, calcium, microutrients की कमी को पूरा करता है एक स्वस्थ व्यक्ति को सुबह त्रिफला खाना चाहिए |


सुबह जो त्रिफला खाएं हमेशा गुड के साथ खाएं |


रात में जब त्रिफला लेते हैं उसे "रेचक " कहते है क्योंकि रात में त्रिफला लेने से पेट की सफाई (कब्ज इत्यादि )का निवारण होता है |


रात में त्रिफला हमेशा गर्म दूध के साथ लेना चाहिए |


कायाकल्प के लिए नियम.....


आप कायाकल्प के लिए नियमित इसका इस्तेमाल कर रहे है तो इसे विभिन्न ऋतुओं के अनुसार इसके साथ गुड़, सैंधा नमक आदि विभिन्न वस्तुएं मिलाकर ले | हमारे यहाँ वर्ष भर में छ: ऋतुएँ होती है और प्रत्येक ऋतू में दो दो मास |


1- ग्रीष्म ऋतू - 14 मई से 13 जुलाई तक त्रिफला को गुड़ 1/4 भाग मिलाकर सेवन करें |


2- वर्षा ऋतू - 14 जुलाई से 13 सितम्बर तक इस त्रिदोषनाशक चूर्ण के साथ सैंधा नमक 1/4 भाग मिलाकर सेवन करें |


3- शरद ऋतू - 14 सितम्बर से 13 नवम्बर तक त्रिफला के साथ देशी खांड 1/4 भाग मिलाकर सेवन करें |


5- हेमंत ऋतू - 14 नवम्बर से 13 जनवरी के बीच त्रिफला के साथ सौंठ का चूर्ण 1/4 भाग मिलाकर सेवन करें |


5- शिशिर ऋतू - 14 जनवरी से 13 मार्च के बीच पीपल छोटी का चूर्ण 1/4 भाग मिलाकर सेवन करें |


6- बसंत ऋतू - 14 मार्च से 13 मई के दौरान इस के साथ शहद मिलाकर सेवन करें | शहद उतना मिलाएं जितना मिलाने से अवलेह बन जाये |


इस तरह इसका सेवन करने से एक वर्ष के भीतर शरीर की सुस्ती दूर होगी , दो वर्ष सेवन से सभी रोगों का नाश होगा , तीसरे वर्ष तक सेवन से नेत्रों की ज्योति बढ़ेगी, चार वर्ष तक सेवन से चेहरे का सोंदर्य निखरेगा , पांच वर्ष तक सेवन के बाद बुद्धि का अभूतपूर्व विकास होगा,छ: वर्ष सेवन के बाद बल बढेगा, सातवें वर्ष में सफ़ेद बाल काले होने शुरू हो जायेंगे और आठ वर्ष सेवन के बाद शरीर युवाशक्ति सा परिपूर्ण लगेगा |


दो तोला हरड बड़ी मंगावे |

तासू दुगुन बहेड़ा लावे |

और चतुर्गुण मेरे मीता ले आंवला परम पुनीता |


कूट छान या विधि खाय|ताके रोग सर्व कट जाय |


त्रिफला का अनुपात होना चाहिए... 1:2:3=1(हरड )+2(बहेड़ा )+3(आंवला ) मतलब जैसे आपको 100 ग्राम त्रिफ़ला बनाना है तो   20 ग्राम हरड+40 ग्राम बहेडा+60 ग्राम आंवला अगर साबुत मिले तो तीनो को पीस लेना और अगर चूर्ण मिल जाए तो मिला लेना....

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