हरी पत्तियाँ क्यो?🌿 (Green Leaves) ग्रीन ज्यूस
🌿हरी पत्तियाँ क्यो?🌿
(Green Leaves) ग्रीन ज्यूस
निमाड़ प्रहरी 9977766399
सृष्टि में यदि खाद्य पदार्थों की बात करें तो ईश्वर ने सर्व प्रथम हरी पत्तियों (वायु तत्व) का सृजन किया मानो ईश्वर मनुष्य को संकेत दे रहा हो कि मैंने तुम्हारे भोजन की पहली खुराक तुम्हें दे दी है।
वास्तविकता है कि हमारे भोजन में यदि पहली खुराक पत्तियों की हो सके तो स्वास्थ्य की ओर उठने वाला यह पहला कदम साबित हो सकता है।
विचारणीय है कि हमारे सभी देवताओं का पुजन भी पत्तियों से किया जाता है।
क्यों ?
क्योंकि यही उचित है। देवताओं में प्रथम पूज्य गणपति जी महाराज का पूजन दूर्वा से किया जाता है, दूर्वा के बिना गणेश जी मोदक का भोग स्वीकार नहीं करते।
इसी प्रकार विष्णु भगवान का भोग तुलसी पत्र तथा शिव जी का भोग बेल पत्र के बिना सम्भव नहीं है। ऐसा इसीलिए विधान बनाया गया जिससे मनुष्य भी इससे सीख ले और अपने भोजन में पत्तियों को प्रथम स्थान दे।
पत्तियों में क्लोरोफिल नामक तत्व पाया जाता है जो शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता पैदा करता है।
यदि आपके शरीर में यह तत्व रहेगा तो कोई भी संक्रामक रोग आप पर आसानी से आक्रमण नहीं कर सकेगा।
बात चाहे क्लोरोफिल की हो आयोडिन की अथवा अन्य खनिज लवणों की, यह सारे तत्व आग पर चढ़ने से नष्ट हो जाते हैं, अतः उत्तम है कि इसका उपयोग आग पर चढ़ाए बिना ही करना चाहिए।
व्यवहार में पहली खुराक के रूप में आसानी से उपलब्ध कुछ हरी पत्तियां जैसे कि -
*धनिया, पोदीना, सहजन पत्ते, गेहूं के ज्वारे, पालक, मूली के पत्ते, कढ़ी पत्ता, बेल पत्र, तुलसी, दूर्वा*
आदि को धोकर, पानी मिलाकर सिलबट्टे या मिक्सी में पीसकर छान लें। इसी के साथ कुछ हरा आंवला, कददू, लौकी आदि भी डाल लें। स्वाद के लिए गुड़ या शहद आदि भी मिला स्वादिष्ट जूस सर्वोत्तम है। यह शोधक भी है और अनेक आवश्यक तत्वों की पूर्ति करता है।
मौसम होने के पर सस्ता भी होता हैं।
दोपहर के अल्पाहार के साथ भी उपरोक्त वर्णित
३-४ तरह की पत्तियों को मिलाकर स्वादिष्ट चटनी का सेवन अति लाभकारी है।
सर्दी के मौसम में विशेष रूप से मूली, पालक, धनिया, मेथी, बथुआ आदि को पीसकर आटे के साथ मिलने का रिवाज भी इसीलिए बनाया गया है ताकि पत्तियों का पूरा लाभ मिल सके।
डाँक्टर शरीर में कैल्शियम की पूर्ति हेतु दूध का सेवन करने की सलाह देते हैं। यह सत्य है कि दूध में कैल्शियम तो है किंतु दूध में यूरिक एसिड तथा कोलेस्ट्रॉल शरीर को रोगी बनाते हैं। दूध की शुद्धता भी आज के युग में पूर्ण रूप से संदिग्ध ही है। जिस जानवर का दूध हम पीते हैं उसकी शारीरिक रुग्णता का प्रभाव भी उसके दूध के माध्यम से हमारे शरीर पर पड़ता है। यदि शरीर में कैल्शियम की कमी है तो हम आपको बताना चाहेंगे कि वैज्ञानिक शोधों में आश्चर्यजनक सत्य उजागर हुए हैं ।
जहां एक ओर मां के दूध में 28 कैल्शियम,
गाय के दूध में 120,
भैंस के दूध में 210 कैल्शियम पाया जाता है,
वहीं शलजम की पत्ती में 710,
इमली की पत्ती 1485,
तथा सरसों के पत्तों में 3095 कैल्शियम पाया जाता है। यदि हम कुछ पत्तियों का सेवन करने लगे तो कैल्शियम की पूर्ति भी हो जाएगी और यूरिक एसिड व कोलेस्ट्राल के दुष्प्रभावों से हम बच जाएंगे।
पत्तियों में शोधन का गुण होने के कारण यह अंदर संचित मल को साफ करने में मददगार हैं। पत्तियों के इसी गुण के कारण इनका सेवन करने से शरीर में मल का संचय रुक जाता है। शरीर के अंदर मल की सड़न के कारण बनने वाली गैस तथा एसिड्स से मुक्ति मिलने लगती है।
इसी कारण पत्तियों का सेवन करने वाले सभी जानवरों के मल में भी बदबू नहीं होती जैरो पत्तियों का सेवन करने वाला हाथी, बकरी, गाय, भैस, घोड़ा आदि।
इन पशुओं से किसी प्रकार का संक्रामक रोग भी नहीं फैलता, जब कि प्लेग जो चूहों से फैलता है, बर्ड फ्लू जो मुर्गियों से फैलता है तथा स्वाइन फ्लू जो सुअर से फैलता है, ये सभी जानवर पत्तियों का सेवन नहीं करते हैं । बिल्लियां और कुत्ते मांसाहारी होते हैं तथा दूध के शौकीन होते हैं। इनका मल अत्यंत दुर्गंधयुक्त तथा चिपकने वाला होता है। आश्चर्य की बात है सर्वश्रेष्ठ कहलाने का अधिकारी मनुष्य का मल सबसे अधिक दुर्गंध युक्त होता है क्योंकि यह अनाज, पक्वाहार, मांसाहार तथा दूध का सबसे अधिक शौकीन होता है।
यदि शरीर को रोगमुक्त बनाना है तथा तप-सेवा-सुमिरन साधना में प्रगति करनी है तो भोजन को भी सूक्ष्म बनाना अति आवश्यक है। भोजन के चार तत्व हैं:-
वायु तत्व (पत्तिया)
अग्नि तत्व (फल)
जल तत्व (सब्जियां)
पृथ्वी तत्व (अनाज)।
इनमें सबसे सूक्ष्म वायु तत्व ही है जो पत्तेदार शाक भाजी में पाया जाता है। यह पत्तियां क्षारीय प्रकृति की होने के कारण रक्त में अम्लता को कम करती है।

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