एनएमसी ने जारी किए बदलाव:एमबीबीएस फर्स्ट ईयर से क्लीनिकल बेस्ड एजुकेशन, सप्लीमेंट्री बैच खत्म, प्रैक्टिकल-थ्योरी मिलाकर चाहिए 50% अंक
एनएमसी ने जारी किए बदलाव:एमबीबीएस फर्स्ट ईयर से क्लीनिकल बेस्ड एजुकेशन, सप्लीमेंट्री बैच खत्म, प्रैक्टिकल-थ्योरी मिलाकर चाहिए 50% अंक
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एनएमसी ने जारी किए बदलाव:एमबीबीएस फर्स्ट ईयर से क्लीनिकल बेस्ड एजुकेशन, सप्लीमेंट्री बैच खत्म, प्रैक्टिकल-थ्योरी मिलाकर चाहिए 50% अंक
एमबीबीएस फर्स्ट ईयर से क्लीनिकल बेस्ड एजुकेशन, सप्लीमेंट्री बैच खत्म, प्रैक्टिकल-थ्योरी मिलाकर चाहिए 50% अंक|
पहले सेकंड ईयर से प्रैक्टिकल होते थे, नया सिलेबस 1 से ।
प्रशांत गुप्ता नेशनल मेडिकल कमीशन (एनएमसी) ने बड़े बदलावों के साथ एमबीबीएस सत्र 2023-24 का नया सिलेबस-कैरिकुलम जारी कर दिया है। यह 1 अगस्त 2023 से लागू हो गया है। 1 सितंबर 2023 से इसके तहत पढ़ाई शुरू होने जा रही है।
अब छात्रों को फर्स्ट ईयर से ही क्लीनिकल बेस्ड एजुकेशन (प्रैक्टिकल) मिलेगा, जो बीते सत्र तक सेकंड ईयर से मिलता था। पहले छात्रों को प्रैक्टिकल और थ्योरी में 50-50 प्रतिशत पासिंग अंक अनिवार्य था, मगर अब इसे दोनों मिलाकर 50 प्रतिशत कर दिया गया है।
इसके साथ ही एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में ट्रांसफर, ग्रेस देकर पास करना और सप्लीमेंट्री बैच के दशकों पुराने सिस्टम को खत्म कर दिया गया है। एनएमसी ने सभी मेडिकल कॉलेजों डीन साथ और सभी मेडिकल यूनीवर्सिटीज के कुलपतियों के साथ दो दिन बैठक की। इस दौरान एनएमसी ने नए बदलावों की जानकारी दी। इधर, नए कैरिकुलम बदलावों पर कॉलेजों की ओर से स्पष्टता नहीं होने की बात कही गई है।
जैसे- नया कैरिकुलम सभी बैच के लिए होगा या सिर्फ फिर सत्र 2023-24 के बैच से, क्योंकि एनएमसी की गाइडलाइन में इसे स्पष्ट नहीं किया गया है।
थर्ड ईयर में छात्र ईएनटी-ऑफ्थैल्मोलॉजी की पढ़ चुके हैं, तो नए कैरिकुलम के मुताबिक ये सब्जेक्ट्स प्रीवियस फाइनल पार्ट-1 में भी शामिल है। इसे लेकर एमएनसी की तरफ से कहा गया कि वह हफ्तेभर में सभी आपत्तियां का निराकरण कर सूचित करेंगे। एमसीआई के भंग होने के बाद असिस्त्व में आया एनएमसी का पूरा फोकस क्लीनिकल पर है। यही वजह है कि 2019 से चौथी बार है जब कैरिकुलम में बदलाव किया गया है।
स्किल बेस्ड एजुकेशन, प्रैक्टिकल ज्यादा होंगे
पं. जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज रायपुर में कैरिकुलम नोडल अधिकारी डॉ. मंजू सिंह कहती हैं- अभी पूरा फोकस स्किल बेस्ड एजेकुएशन पर है। इसमें कम्यूनिकेशन, विहेवियर, प्रैक्टिकल और रिसर्च शामिल है। प्रैक्टिकल पर बहुत ज्यादा जोर है।
नई गाइडलाइन: स्किल बेस्ड एजुकेशन, प्रैक्टिकल ज्यादा
1. यूनीवर्सिटीज को 5 हफ्ते के अंदर सप्लीमेंट्री एग्जाम लेना होगा। छात्र पुराने बैच के साथ पढ़ाई नहीं करेगा, रेगुलर बैच के साथ ही पढ़ाई जारी रखेगा। पहले छात्र 6 महीने पिछड़ जाते थे।
2. छात्रों का एक कॉलेज से दूसरे कॉलेज में किसी भी कंडीशन में ट्रांसफर नहीं होगा। पूर्व में कई छात्रों ने मेडिकल ग्राउंड पर ट्रांसफर लिए हैं।
3. एक छात्र को परीक्षा पास करने के लिए 4 अटैम्प्ट ही मिलेंगे। इसके पहले तक कोई समय-सीमा तय नहीं थी।
4. पहले बैच से प्रैक्टिकल बेस्ड पढ़ाई होगी। इसके पहले फर्स्ट ईयर में एनाटॉमी, फिजियोलॉजी और बायोकेमेस्ट्री नॉन क्लीनिकल सब्जेक्ट थे।
5. एमबीबीएस, एमडी-एमएस ही एग्जामिनर (परीक्षक) होंगे। नॉन मेडिकल प्रोफेसर (एम.एससी. और पीएचडी) की नियुक्ति एग्जामिनर के तौर पर नहीं की जा सकेगी।
6. फैकल्टी-छात्रों के लिए बायोमेट्रिक्स सिस्टम को आधार से लिंक किया गया है। कॉलेज और हॉस्पिटल में सीसीटीवी कैमरे लगाने होंगे।
पं. जवाहरलाल नेहरू मेमोरियल मेडिकल कॉलेज के प्रोफेसर्स से बात की। यह राज्य का सबसे पुराना कॉलेज है, एमबीबीएस की सबसे ज्यादा 230 सीटें भी यहीं हैं। प्रोफेसर्स का साफ-साफ कहना है कि कॉलेज में फैकल्टी की भारी कमी है। पहले 150 सीट थीं, फिर 180 हुईं और अब 230 सीट। मगर, 150 सीट के मापदंड के आधार पर भी फैकल्टी नहीं है। इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है। अगर, सिलेबस-कैरीकुलम में बदलाव किया जा रहा है तो फैकल्टी भी उसी हिसाब से होने चाहिए।
3 डिपार्टमेंट अनिवार्य नहीं
नेशनल मेडिकल कमीशन ने नए कॉलेजों के लिए रेसपिरेट्री, इमरजेंसी और पीएमआर डिपार्टमेंट की अनिवार्यता को खत्म कर दिया है। इसके साथ ही रेसपिरेट्री मेडिसिन के फैकल्टी जनरल मेडिसिन में काउंट होंगे, पीएमआर को ऑर्थोपेडिक्स डिपार्टमेंट में मर्ज कर दिया गया है।
सभी कॉलेजों को निर्देश जारी
एनएमसी की नई गाइडलाइन लागू हो चुकी है। पहले की तुलना में अब पढ़ाई और भी ज्यादा प्रैक्टिकल बेस्ड होने जा रही है। पासिंग मार्क में भी बदलाव किए गए हैं। सभी कॉलेजों को इससे संबंधित निर्देश जारी किया जा रहे हैं। डॉ. अशोक चंद्राकर, कुलपति, आयुष विश्वविद्यालय

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