सतपुड़ा के घने जंगल नींद मे डूबे हुए से ऊंघते अनमने जंगल"

 शाहपुर के ग्राम बम्भभाड़ा में तेंदुआ 

बुरहानपुर जिले के घने जंगल


" सतपुड़ा के घने जंगल

नींद मे डूबे हुए से

ऊंघते अनमने जंगल" 

निमाड  प्रहरी- 9977766399

जंगल पर भवानी प्रसाद ने लिखी कविता आज बहुत ही याद आ रही 

बुरहानपुर जिला जंगल से  भरा हुआ था पूर्व में जिला पूर्व निमाड़ खण्डवा खांडव वन के नाम से जाना जाता था जिसमे

डोगर गाँव ,सागफाटा, मंडवा, चांदनी, नेपा, सिवल, नावथा, सोनुद, बाकडी, हैदरपुर, नावरा , खकनार आसिर  निम्ना बोरसर झांझर ,ब्लडी ठाठर, खामला धुलकोट आदि जंगल से भरा था 

यहाँ खेर धावड़ा सागौन सलाई मोहनी टेमरु चिरौंजी अर्जुन साजड़ कुल्लू बॉस सेमल के पेड़ आदि थे पर इन्हें काट दिया गया पेड़ के कटने से कई तरह की झड़ी बुटी काला गंगेरू सफेद मूसली गौंद कत्था  डमरू चारोली आदि समाप्त हो गई 

वही जंगल मे रन भेस नीलगाय शेर रीछ तेंदुआ खरगोस हिरन मोर  ,जंगली मुर्गा ,मोर, सायर , लकड़ बगघा कब्रर बिज्जू  जंगली सुअर लाल व काले मुह के बदर आदि  बहुता में पाए जाते थे कोब्रा सांप अजगर धामन उड़न वेल दो मुह के  सांप आदि प्रजाति थी हमारे जंगल को राजनीति संरक्ष्ण में कटवा दिया गया अगर पुरा ईमानदारी व निष्ठा से बचाने का प्रयास करते तो जंगल बच सकता था खेती के लिए जंगल मे कब्जे कर  नवार्ड के नाम पर भी जंगल नही कटते आज जंगल कट जाने से बचे कूचे जानवर शहर व गाँव की और प्रवेश कर रहे है 

बहुत दुःख होता जी जंगल साफ हो गया तो इतनी ऑक्सीजन कहा से लाएंगे  जंगल भी एक प्रकृति का पर्यटन केंद्र है  जिसमे नदी पहाड़ झरने आदी सामिल है 

हम सभी ने जंगल बचने का प्रयास नही किया जरा चिंतन करो कि एक पेड़ पर कितने प्रकार के पंछी रहते है आज वे कई मर गए तो कई जीव जंतु  वेघर है वे भीषण गर्मी पानी की तलाश में भटक रहे है 

में खुद आसिर के जंगल से कई प्रकार की जड़ी बूटी आयुर्वेद दवाइयों के लिए जंगल से प्राप्त किया हु सभी जंगल देखे गए है काला नाला जिसे आम नाला भी कहते बहुत ही गहरा नाला है जहाँ दिन में शेर आराम से देखा जा सकता था गुलाब नाम के राठिया की गर्दन पकड़ ली उसे हल्ला व सौर मचा कर शेर से छुड़ाया  आज जंगल कट जाने से बचे कूचे जीव जंतु गाँवो व सड़को पर घुम रहे मेरे मित्र कीर्ति कुमार जैन ने गजानन टेकरी पर पौधा रोपण किया जिससे लगता है कि काश हम जगह जगह डेम बना कर जंगल ने ड्रिप लाइन द्वारा पानी देकर पेड़ लगाकर उगाने के काम कर सकते ताकि पुनः हमारे आस पास जंगल अपना मुहर्त रूप पुनः प्राप्त कर सके 

लेखक का प्रकृति प्रेम 

यहा के बसाली ठाठर के झरने प्राकृतिक सीता गुफा जीव जंतु के बचने से पर्यटन की बढ़ावा मिल सकता है जब हम धुलकोट या गड़ताल के तरफ बरसात में जाते है तो यही की प्रकृति नदी पहाड़ हमारा मन मोह लेती है आइये इसे हम बचाये 

शालिकराम चौधरी

जिला पुरातत्व पर्यटन एवं सँस्कृति परिषद जिला बुरहानपुर

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