निमाड़ में पत्रकारिता को स्थापित करने एवम पत्रकारों के हित में स्व. गुलाबचंद पूर्वे का योगदान अतुलनीय रहा है ।

 । ।  स्मृति विशेष । । 

 निमाड़ में पत्रकारिता को स्थापित करने एवम पत्रकारों के हित में स्व. गुलाबचंद पूर्वे का योगदान अतुलनीय रहा है ।


 ( 28 सितंबर 26 वी पुण्यतिथि पर  उनका पुन्य स्मरण l )

निमाड प्रहरी--9977766399 

बुरहानपुर निमाड प्रहरी   सम्पूर्ण मानव जीवन में अर्थ , धर्म , काम और मोक्ष हेतु मानव कार्य अपरिहार्य है l मानव की हर गतिविधिया इसी के इर्द गिर्द घुमती है l यदि इसमें स्वार्थ की भावना अंतर निहित है तब सफलता के शिखर पर चढना असम्भवं है l पत्रकारिता भी एक धर्म है l आज़ादी से लेकर आपातकाल तक एक धर्म से जुड़े लोगो ने अपना कार्य एवं धर्म बखूबी से निभाया किन्तु इसके बाद पत्रकारिता भय और लाभ पर केन्द्रित हो गयी l आज़ादी के पूर्व जो पत्रकारिता भय और लाभ पर केन्द्रित थी l वह आपातकाल के समय और अधिक केन्द्रि भूत हो चुकी है एसी स्थिति में ऐसा पत्रकार खो देना जो अपने राष्ट्रधर्म का पालन वर्तमान में भलीभांति कर सके उसको खोजना बहुत मुश्किल है l


पत्रकारिता के आधार स्तम्भ रहे धुनिवाले दादा की नगरी खंडवा में जन्मे और बुरहानपुर शहर को अपने कर्म भूमि बनाने वाले पत्रकार स्व. गुलाबचंद पूर्वे ने गरीबी के विरुद्ध संघर्ष करने और स्वावलम्बन और आत्मनिर्भरता की और अग्रसर करने में व्यतीत किया l आज उनकी 26 वी पुन्य तिथि पर यह आलेख प्रकाशनार्थ प्रेषित है l 

                      पीत पत्रकारिता और धनार्जन की लालसा में जब समाचार पत्रों के कुछ संवादाताओं का मक्सद ही परिवर्तीत हो गया हो तब ऐसे पत्रकारों का स्मरण होना स्वभावीक है जिनके लिए पत्रकारिता एक धर्म, कर्तव्य, परायणता समाजसेवा और राष्ट्र सेवा का पवित्र कार्य हुआ करता था। ऐसे ही पत्रकार इस चौथे स्तंभ की नीव कहे जा सकते थे। जिन्होंने अपनी तटस्थता,


निष्पक्षता और निर्भीकता से इस चौथे स्तंभ को एक मजबुत आधार दिया। इस ऐतीहासिक शहर में स्वतंत्रता आंदोलन से लेकर 9वें दशक तक ऐसे ही पत्रकारों का बोलबाला रहा जिन्होंने एक टीम की तरह कार्य किया । और तथ्यों का उजागर किया, समस्याओं को निराकरण तक पहुंचाया और कभी अपने पत्रकारिता धर्म से कोई समझोता नहीं किया। यद्दिपी वर्तमान में समाचार संप्रेशण एवं लेखन के अनैक साधन विकसीत हो चुके है और पत्रकारों को अब कठौर परिश्रम नहीं करना पड़ता बल्कि इस काल के पत्रकार घटना स्थल पर स्वयं उपस्थित होकर अपने स्वविवेक से तत्थ्यों की खोज किया करते थे और इसके बाद समाचार लेखन करते थे l

स्व. लक्ष्मीदास जी मास्टर, स्व. मोहनचंद जी यादव, स्व. गुलाबचंद जी जलगांव वाले, स्व. अजहर भाई, स्व. विनोद दलाल, स्व. चंदनसिंह बेस, रामेश्वरदास स्वामी, घनश्याम मालवीय, मालती प्रजापति, सुगनचंद पंचारिया (शर्मा), नारायणदास नावानी, हिरालालजी शर्मा, बृजलालजी यादव, स्व. किर्ती कुमार जैन, ऐसे समकालीन पत्रकारोंकी टीम के सक्रिय सदस्य थे स्व. गुलाबचंदजी पूर्वे जिन्होंने जीवन पर्यंत ना केवल पत्रकारिता धर्म निभाया बल्कि पत्रकारों के लिए संर्घष भी किया। उन्हें जगाया और प्रेस क्लब को भी जागृत किया। उन दिनों राष्ट्रीय ख्याती प्राप्त संस्था नवरात्री व्याख्यान माला में देश के विभिन्न वर्गो के वक्ताओं का आगमन हुआ करता था तथा उनके व्याख्यानों को संकलन प्राथमिकता के आधारों पर अपने अपने दैनिक समाचारों में प्रेक्षण करना पत्रकारों की प्राथमिकता बन चुकी थी तब स्व. पूर्वे जी स्वदेश, नवभारत, पांचजन्य, चरैवेती, राजस्थान पत्रिका और ऑबर्जवर जैसे राष्ट्रीय और प्रादेशीक समाचार पत्रों के जिला स्तरीय प्रतिनिधि के रूप में समाचार संप्रेक्षण के लिए स्वयं को एक कदम आगे समझकर लम्बी रेस लगाने के अवसरों को नहीं चुकते थे। उनकी सबसे बड़ी विशेषता थी कि वे राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की विचार धारा से जुड़े थे किन्तु जहा तक समाचार संकलन और सम्प्रेषण का राष्ट्रीय एवं समाजिक दायित्व था उन्होंने उनकी निजता की अपेक्षा निष्पक्षता का अधिक ध्यान रखा। धर्मनिर्पेक्ष समाजवाद और राष्ट्रीय विचार धारा के राजनेताओं से उनकी समिपता और उनके समाचारों के भी संप्रेक्षण की प्राथमिकता उनके कर्तव्य में कभी बाधा नहीं बनी। वे अक्सर कहा करते थे मेरी अपनी विचारधारा अलग हो सकती है। किन्तु मेरा पत्रकारिता धर्म बहुजनहिताएं है। वे अपने कम उम्र पत्रकारिता से जुड़े विजय बहादुरसिंह, आशिष शर्मा, उदयसिंह वर्मा, दिनेश जैन, एहकाम अंसारी, लियाकत खान, सुरेश तुलसवानी, स्व. विजय शिंदे, स्व. बलवीरसिंह अरोरा, स्व. सुहास पाटीदार, अजय उदासीन सहित अन्य साथियों के सच्चेहितचिंतक रहे। उनके मित्र रहे तथा उन्हें सीख देने से कभी नहीं चुकते थे । उनके साथियों को असीम स्नेह करने वाले स्व. पूर्वेजी के किला रोड़ स्थित आवास पर पत्रकारों का जमावड़ा सदा लगा रहता था। अपने कार्यों के अतिरिक्त वे कभी किसी की आलोचना और निंदा तथा अमेत्री को अपने जीवन में कोई स्थान नहीं देते थे। इस लिए सभी उनके लिए थे और वे अजातशत्रु थे। यहीं कारण था कि बुरहानपुर प्रेस क्लब ने सर्वसम्मति से उन्हें अध्यक्ष चुना वे संघ की चिंता करते थे और सब उनका सम्मान करते थे। आज वे इस दुनिया में नहीं है ।


उनका बेटा मुकेश कुमार पूर्वे उनके कार्यकाल में पत्रकारिता धर्म का प्रशिक्षण प्राप्त करता रहा और उनके मरणोप्रांत नवभारत समाचार पत्र का जिला प्रतिनिधि बना और बुरहानपुर प्रेस क्लब ने उन्हें अध्यक्ष भी सर्वसम्मति से निर्वाचित किया। उनका कनिष्ठ पुत्र राकेश कुमार पूर्वे  भाजपा जिला मिडिया प्रभारी तथा प्रतिष्ठित पत्रों के संवादताता है l पत्रकारिता कि नीव के पत्थर के रूप में स्व. गुलाबचंदजी पूर्वे की उपस्थिती पत्रकार जगत में शारीरिक रूप से उपलब्ध नहीं है किन्तु उनकी प्रेरणा और संबल आज भी पत्रकारों को प्रेरित करने के लिए मील का पत्थर है। आज भी उनका पुण्य स्मरण होता है तब पुरी श्रद्धा और सम्मान से उन्हें याद किया जाता है। निः संदेह स्व. पूर्वे जी एक चिरस्मरणीय व्यक्तित्व का नाम है। अनेक पुरस्कारों एवं पदवीयों से सम्मानित स्व. पूर्वे को मरणोप्रांत ताप्ती उत्सव समिति द्वारा ताप्ती रत्न सम्मान से भी विभुषित किया गया l ताप्ती रत्न अलंकरण जिले का सर्वोच्च सम्मान पत्र है जो स्व, स्व. पूर्वे की उल्लखनीय सेवा के लिए उन्हें प्रदान किया गया l 

                                 घनश्याम मालवीय वरिष्ठ पत्रकार

Comments

Popular posts from this blog

अखिल भारतीय धाकड़ माहेश्वरी समाज की शपथ विधि इछावर नगर में सम्पन्न

अखिल भारतीय धाकड़ माहेश्वरी सभा की केंद्रीय कार्यकारिणी चुनाव वर्ष 2025 - 27 खड़े उम्मीदवारों की। सूची

केले के रेशे से बनी शादी की पत्रिका और पावरलूम कपड़े का लिफाफा