श्री_त्र्यंबकेश्वर_ज्योतिर्लिंग_नाशिक_महाराष्ट्र
श्री_त्र्यंबकेश्वर_ज्योतिर्लिंग_नाशिक_महाराष्ट्र
निमाड प्रहरी 9977766399
.निकिता नागौरी खंडवा
नाशिक निमाड प्रहरी शिवजी के 12 ज्योतिर्लिंगों में श्री त्रंबकेश्वर जी को दसवां स्थान दिया गया है। यह मंदिर पुरातन काल का है तथा पुराणों में भी इसकी महत्ता का वर्णन है, मराठा काल के पेशवा बालाजी बाजीराव तथा बाद में रानी अहिल्या बाई ने इसका पुनर्निर्माण करवाया। इसके उतरी द्वार पर ऊपर नक्कारखाना स्थित है। यह मंदिर पूर्व मुखी है, इसका गर्भ ग्रह विशाल है, यहीं पर सभी अभिषेक पूजा संपन्न होते है।
मंदिर के चार द्वार हैं यहां पर ब्रह्मगिरि पर्वत जहां की गंगा गोदावरी का उद्गम स्थल है और यहीं पर कुशवर्ता कुंड है
इसका भी एक अपना अलग महत्व है यहां पर गौतम ऋषि ने स्नान किया था यहां से गंगा गोदावरी नदी अपने उद्गम स्थल से होकर कुशावर्त कुंड में होकर आगे जाती है । यह कुंड 21 फुट गहरा है । यहीं पर कुंभ मेला संपन्न होता है। त्रंबकेश्वर आने वाले तीर्थ यात्री पूजा एवं स्नान तथा दीपदान करते हैं यहां पर भगवान राम ने अपने पिता दशरथ का श्राद्ध किया था। यहीं पर गायत्री मंदिर एवं गंगा गोदावरी माता का मंदिर भी है। यहां तीर्थयात्री स्नान करके मंदिर जाते हैं। श्री त्रंबकेश्वर जी की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां पर मंदिर के अंदर छोटे से गड्ढे में तीन छोटे छोटे लिंग है जिन्हे ब्रह्मा विष्णु और शिव जी का प्रतीक माना गया है। काले पत्थरों से बना एक मंदिर दूर से देखने में बहुत सुंदर दिखता है। मंदिर सुबह 7:00 बजे से रात 8:00 बजे तक खुला रहता है । सोमवार तथा शिवरात्रि को त्रंबकेश्वर भगवान की पालकी नगर भ्रमण पर निकलती है । यह तीर्थ भगवान गणेश का जन्म स्थान भी हैं जो यहां दर्शन लाभ करता है उसे मृत्यु के बाद मोक्ष प्राप्त होता है। यहां श्राद्ध, अनुष्ठान के लिए एक पवित्र स्थान है। यहां पर कालसर्प पूजा का विधान है जो कि भारत में कहते हैं सिर्फ यही है यहीं पर गोदावरी माता का मंदिर तथा गायत्री मंदिर भी है। नारायण नागबली पूजा ,त्रिपिंडी ,श्राद्ध ,पूजा, महामृत्यु मंत्र जाप भी यही होता है। श्री गजानन महाराज संस्थान भी है यहां यात्रियों के रहने और भोजन की व्यवस्था है। मंदिर के बाहर त्रयंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग के लिंग की प्रतिकृति स्थापित है यहां भी आप पूजा अर्चना कर सकते हैं।




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