असीरगढ़ किले की ऐतिहासिक तोप: एक विश्लेषण
असीरगढ़ किले की ऐतिहासिक तोप: एक .विश्लेषण
निमाड प्रहरी 9977766399
1. प्रस्तावना
असीरगढ़ किला भारत के मध्य प्रदेश राज्य के निमाड़ अंचल में स्थित है और इसे "दक्षिण का प्रवेश द्वार" कहा जाता है। यह किला एक महत्वपूर्ण ऐतिहासिक धरोहर है जो विभिन्न शासकों के शासनकाल का साक्षी रहा है। इस किले में स्थित ऐतिहासिक तोपें किले की सामरिक महत्ता और रक्षा रणनीति की प्रतीक रही हैं। प्रस्तुत शोध-पत्र 16 मार्च 1904 के ऐतिहासिक संदर्भ में असीरगढ़ किले से एक प्राचीन तोप के हटाए जाने पर आधारित है।
2. असीरगढ़ किले का संक्षिप्त परिचय
भौगोलिक स्थिति: मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले में स्थित।
इतिहास:
निर्मित: आठवीं शताब्दी के आसपास।
विभिन्न शासकों का अधिपत्य:
फारूकियों का शासन।
अकबर द्वारा 1601 ई. में इस किले पर विजय।
मराठा और अंततः अंग्रेजों का नियंत्रण।
रणनीतिक महत्व: यह किला उत्तर भारत और दक्षिण भारत के बीच एक महत्वपूर्ण सैन्य चौकी के रूप में कार्य करता था।
3. असीरगढ़ की तोप: निर्माण और संरचना
विवरण:
निर्माण सामग्री: लोहे और कांस्य का मिश्रण।
माप: तोप की लंबाई लगभग 15 फीट और व्यास 2 फीट बताया गया है।
वजन: भारी वजन के कारण इस तोप को हटाना चुनौतीपूर्ण था।
तकनीकी विशेषताएँ:
लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम।
किले की सुरक्षा के लिए रणनीतिक स्थान पर स्थापित की गई थी।
4. 1904 में तोप का हटाया जाना: ऐतिहासिक साक्ष्य
16 मार्च 1904 को प्रकाशित रिपोर्ट में इस तोप को हटाने की घटना का वर्णन किया गया है:
कारण:
ब्रिटिश सरकार द्वारा तोपों का स्थानांतरण सैन्य उपयोग और संग्रहालय में रखने के लिए किया जा रहा था।
भारी वजन और दुर्गम स्थान पर स्थित होने के कारण इसे हटाने में कठिनाइयाँ हुईं।
प्रक्रिया:
श्रमिकों और इंजीनियरों की मदद से इस तोप को हटाने के लिए विशेष उपकरणों का उपयोग किया गया।
35 जोड़ी बैल और 12 मील लंबे रास्ते की दूरी तय करने आवश्यकता पड़ी।
परिणाम:
लगभग 6 फरवरी 1904 को यह तोप किले से सफलतापूर्वक हटाकर भेजी गई।
5. असीरगढ़ किले और तोप का ऐतिहासिक महत्व
मुगल काल में योगदान: अकबर ने इस किले को जीतकर दक्षिण भारत की ओर अपने साम्राज्य का विस्तार किया।
मराठा शासन: मराठों ने इस किले को अपनी सुरक्षा चौकी के रूप में इस्तेमाल किया।
अंग्रेजी शासन: 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने इसे अपने सैन्य अभियानों के लिए उपयोग किया।
6. किले की ऐतिहासिक तोपों का संरक्षण
वर्तमान स्थिति:
कई तोपें संग्रहालयों में रखी गई हैं।
कुछ तोपें आज भी असीरगढ़ किले में देखी जा सकती हैं।
संरक्षण की चुनौतियाँ:
जलवायु परिवर्तन और मानव हस्तक्षेप के कारण ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान हो रहा है।
पुरातत्व विभाग (ASI) द्वारा संरक्षण प्रयासों की आवश्यकता।
7. निष्कर्ष
असीरगढ़ किला और इसकी ऐतिहासिक तोपें भारत की गौरवशाली सैन्य परंपरा और वास्तुकला का प्रमाण हैं। 1904 में ब्रिटिश शासन द्वारा तोप का हटाया जाना एक महत्वपूर्ण घटना थी जो तत्कालीन सैन्य और प्रशासनिक नीतियों को दर्शाता है। आज इस धरोहर के संरक्षण और अध्ययन के माध्यम से हम अपने इतिहास को समझ सकते हैं।
शालिकराम चौधरी
Datcc सदस्य बुरहानपुर



Comments
Post a Comment