लॉकडाउन की तपिश में जन्मी उम्मीद की चाय, जानिए बुरहानपुर के लुकमान की कहानी -

 लॉकडाउन की तपिश में जन्मी उम्मीद की चाय, जानिए बुरहानपुर के लुकमान की कहानी -


बुरहानपुर: कभी-कभी जिंदगी के सबसे कठिन मोड़ पर ही उम्मीदों की नई सुबह जन्म लेती है. डाकवाड़ी निवासी लुकमान उस्मान अंसारी की कहानी भी कुछ ऐसी ही है. महाराष्ट्र के भिवंडी स्थित पॉवरलूम में मजदूरी करते हुए लुकमान की दुनिया उस समय थम गई, जब कोरोना महामारी के चलते देशभर में आनन फानन में लॉकडाउन लागू कर दिया गया. जिससे उनकी रोजी-रोटी छिन गया. जेब खाली हो गई और पेट की भूख ने उन्हें परिवार संग घर लौटने पर मजबूर कर दिया.दरअसल, लुकमान अंसारी ने मुंबई से बुरहानपुर का सफर पैदल चलकर तय किया. उन्होंने बगैर किसी साधन के 10 दिनों में लगभग 500 किलोमीटर पैदल चलकर बुरहानपुर पहुंचे थे. इस दौरान मंदिरों के आंगन और पेट्रोल पंपों की सीढ़ियां उनका आशियाना बनीं. कई रातें प्यास से जूझते रहे.

मंदिर का निर्माण

लुकमान अंसारी ने गांव में लॉकडाउन चाय स्टॉल के नाम से एक छोटी सी चाय के टपरी की शुरुआत की. उन्होंने सफर के दौरान प्यास की शिद्दत और संघर्ष को हमेशा याद रखने के लिए एक जल (प्याऊ) मंदिर का भी निर्माण कराया. लुकमान कभी कभार चाय की दुकान बंद कर देते हैं, लेकिन कभी भी पानी का मटका सूखा नहीं रहता है. वह रोज सुबह और शाम मटकों में पानी भरते हैं, ताकि कोई राहगीर कभी प्यासा न रहे.

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