नर्मदा मैया के अनमोल मोती थे संत श्री सियाराम बाबा

 खरगोन


नर्मदा मैया के अनमोल मोती थे संत श्री सियाराम बाबा


समूचा रेवाखंड आज निष्प्राण हो गया,मोक्षदा एकादशी को महाप्रयाण हो गया

निमाड प्रहरी 9977766399

12 वर्ष मौन के बाद बोले "सियाराम" तो उन्हें मिला यही नाम। आज हमारे निमाड़ क्षेत्र कि अनमोल धरोहर परम पूज्य विरक्त संत "सियाराम बाबा" जी का 116 वर्ष आयु पूर्ण होने के उपरांत देवलोकगमन हो गया। संत श्री के चरणों में कोटि कोटि नमन!

पाखंड से कोशो दूर एक विरक्त सन्यासी, भारत मे उन्ही में से एक थे। सियाराम बाबा 100 वर्ष से अधिक मध्यप्रदेश के खरगौन जिले के ग्राम भट्टयान में रहे। भट्याण बुजुर्ग में विशेषकर गुरु पूर्णिमा एवं सामान्य दिनों में भी संत सियाराम बाबा का पूजन करने बड़ी संख्या में बाबा के भक्त आते थे।


श्री सियाराम बाबा ने 12 साल का मौन व्रत धारण किया था। कोई नहीं जानता था बाबा कहां से आए हैं। बाबा ने मौन व्रत तोड़ा और पहला शब्द "सियाराम" बोले तब से ही गांव वाले उनको "सियाराम बाबा" कहते हैं।

10 साल की खड़ेश्वरी सिद्धि :- भक्त बतातेे हैं, मौसम कोई भी हो बाबा केवल एक लंगोट पहनते थे। उन्होंने 10 साल तक खड़ेश्वरी सिद्धी की थी। इसमें तपस्वी सोने, जागने सहित हर काम खड़े रहकर ही करते हैं। खड़ेश्वरी साधना के दौरान नर्मदा में बाढ़ आई। पानी बाबा की नाभि तक पहुंच गया, लेकिन वे अपनी जगह से नहीं हटे।

कई विदेशी भक्त भी पहुंचते हैं। बाबा के दर्शन के लिए, भक्तों के मुताबिक अर्जेंटीना व ऑस्ट्रिया से कुछ विदेशी लोग पहुंचे। उन्होंने बाबा को 500 रुपए भेंट में दिए। संत ने 10 रुपए प्रसादी के रखकर बाकी 490 रुपये लौटा दिए। वे भी आश्चर्यचकित थे।

भट्याण गांव के सभी लोग और बुजुर्ग बताते है कि बाबा 50-60 साल पहले यहां आए थे। कुटिया बनाई ओर रहने लगे। हनुमानजी की मूर्ति स्थापित कर सुबह-शाम राम नाम का जप व रामचरितमानस पाठ करते थे।

बाबा का जन्म मुंबई में हुआ। वहीं कक्षा 7-8 तक पढ़ाई हुई। कम उम्र में एक गुजराती साहूकार के यहां मुनीम का काम शुरू किया। उसी दौरान कोई साधु के दर्शन हुए। मन में वैराग्य व श्रीराम भक्ति जागी। घर-संसार त्यागा और तप करने हिमालय चले गए। कितने साल कहां तप किया, उनके गुरु कौन थे कोई नहीं जानता। बाबा ने यह किसी को नहीं बताया। पूछने पर एक ही बात कहते थे। मेरा क्या है, मैं तो सिर्फ मजा देखता हूं’। ग्राम के ही बुजुर्गों ने बताया बाबा रोज सुबह नर्मदा स्नान करते थे। नर्मदा परिक्रमा करने वालों की सेवा खुद करते थे।

सदाव्रत में दाल, चावल, तेल, नमक, मिर्च, कपूर, अगरबत्ती व बत्ती भी देते थे। कई बार नर्मदा की बाढ़ की वजह से गांव के घर डूब जाते हैं। ग्रामीण ऊंची सुरक्षित जगह चले जाते है। लेकिन बाबा अपना आश्रम व मंदिर छोड़कर कहीं नहीं जाते। बाढ़ के दौरान मंदिर में बैठकर रामचरितमानस का पाठ करते थे। बाढ़ उतरने पर ग्रामीण उन्हें देखने आते हैं तो कहते हैं मां नर्मदा आई थी। दर्शन व आशीर्वाद देकर चली गई। मां से क्या डरना, वो तो मैय्या है।

वर्तमान में जहाँ बाबा का निवास था। वह क्षेत्र डूब में जाने वाला है। सरकार ने इन्हें मुआवजे के 2 करोड़ 51 लाख दिए थे.... तो इन्होंने सारा पैसा खरगौन जिले सहित बड़वानी जिले के सतपुड़ा में आसान लगाए बैठे भीलटदेव मंदिर नांगलवाड़ी में नाग देवता के मंदिर में दान कर दिया। ताकि वहा भव्य मंदिर बने और सुविधा मिले। आप लाखो रुपये दान में दो... पर नही लेते। केवल 10 रुपये लेते है ...और रजिस्टर में देने वाले का नाम साथ ही नर्मदा परिक्रमा वालो का खाना और रहने की व्यवस्था ...कई सालों से अनवरत करते आ रहे है।

हम धन्य है। धन्य है हमारी निमाड़ की धरा, जहां सियाराम बाबा जैसे संत हुए में समस्त सनातनी समाज की और से उन्हें अश्रुपूरित श्रद्धांजलि करता हु। नमन है ऐसे महान संत को जिन्होंने निमाड़ को एक अलग ही पहचान दिलाई।

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